बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने रविवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ बिहार में महागठबंधन में उनका 18 महीने का साथ खत्म हो गया। हालांकि, राजद से अपनी बढ़ती दूरी का साफ संकेत नीतीश ने बुधवार को ही दे दिया था। रविवार को कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर नीतीश अकेले ही कर्पूरी ठाकुर के घर चले गए, जबकि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को उनके साथ जाना था। उसके बाद नीतीश ने कर्पूरी जयंती के अवसर पर परिवारवाद पर कड़ा प्रहार करते हुए पीएम मोदी की तारीफ कर दी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान बिहार में नीतीश कुमार के शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन जदयू ने अब इससे साफ इनकार कर दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार पहले भी पाला बदल चुके हैं। इससे पहले 2013 में जदयू ने भाजपा से नाता तोड़कर राजद और कांग्रेस के साथ. गठबंधन किया था। 2017 में जदयू ने एनडीए में भाजपा के साथ अपना जुड़ाव फिर से बढ़ा दिया और 2019 का लोकसभा चुनाव और 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा। अगस्त 2022 में, नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़ लिया और महागठबंधन के साथ गठबंधन कर लिया। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि इंडिया गठबंधन बनाने में हमारे नेता ने मुख्य भूमिका निभाई है और सीट बंटवारा नहीं होने से सहयोगी दलों में नाराजगी बढ़ रही हैं। वहीं, इस पूरे सियासी प्रकरण पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी सहित कई नेताओं को भाजपा ने दिल्ली तलब किया है।
डैमेज कंट्रोल के साथ जदयू को तोड़ने की कोशिश
राजद और कांग्रेस नीतीश को मनाने में जुटी है। बृहस्पतिवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने नीतीश को कॉल किया। राजद सरकार बनाने के लिए समर्थन जुटाने में भी लगी है। बिहार में बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 का है। राजद, कांग्रेस और वामदलों का आंकड़ा 114 मतलब बहुमत से आठ कम पर रुकता है। नीतीश के तेवर दिखाने के बाद राजद ने हम और जदयू के बागी विधायकों से संपर्क साधा है।